वैवाहिक जीवन
हिंदू धर्म में कहा गया है रिश्ते स्वर्ग में बनते हैं। शादी का रिश्ता हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता होता है। यही नहीं कहा जाता है कि एक रिश्ता जिससे बन गया वह सात जन्मों के लिए बन जाता है। इसलिए हिन्दू धर्म में किसी भी व्यक्ति के विवाह से पहले उसकी कुंडली जरूर मिलाई जाती है। इससे वर वधु के गुणों का मिलान किया जाता है जिससे वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न ना हो पाए।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में दूसरा, सातवां, 11 वां भाव और उनके स्वामी विवाह से संबंधित माने गए हैं। दूसरे भाव, सातवें भाव, और ग्यारहवें भाव के स्वामी यदि किसी कुंडली में मज़बूत स्थिति या शुभ स्थिति में है तो इससे व्यक्ति के विवाहित जीवन में अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं।
वहीं ग्रहों में शुक्र ग्रह, बृहस्पति ग्रह, और मंगल ग्रह सुखी वैवाहिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा भी कुंडली में मुख्य रूप से 8 चीजों का मिलान होता है जैसे गण, ग्रहमैत्री, नाड़ी, वैश्य, वर्ण, योनी, तारा और भकूट इन्हीं सब को मिलाकर कुल 36 गुण बनते हैं। आइए जानते हैं वो कौन से योग हैं जिनकी वजह से वैवाहिक जीवन सफल बनता है-
पहला योग: यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र और बृहस्पति ग्रह शुभ स्थिति में हो और वह पहले, पांचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में हो तो यह एक सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्यक्ति की कुंडली में अनुकूल माना जाता है।
दूसरा योग: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली का सातवां भाव मजबूत हो और लाभकारी महादशा का संयोग हो तो यह भी अच्छे वैवाहिक जीवन को दर्शाता है।
तीसरा योग: किसी व्यक्ति के कुंडली में यदि बृहस्पति का सातवें भाव, पर या सातवें भाव के स्वामी पर पहलु हो तो भी व्यक्ति की वैवाहिक जीवन अनुकूल रहता है। इसके अलावा किसी व्यक्ति के कुंडली में कोई अनुकूल महादशा बन रही है तो भी सुखी वैवाहिक जीवन का सौभाग्य व्यक्ति को मिलता है।

चौथा योग: यदि किसी जातक के कुंडली में शुक्र पांचवे भाव में स्थित है या व्यक्ति की कुंडली में उच्च भाव में स्थित है तो इससे भी व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में सुख प्राप्त होता है। हालांकि इसमें सातवें भाव का स्वामी मजबूत स्थिति में मौजूद हो तभी यह संयोग फलित होता है।
पांचवा योग: जिन व्यक्तियों की कुंडली में दूसरा चौथा भाव मजबूत होता है उनका वैवाहिक जीवन भी शानदार होता है। यहां दूसरा भाव पर्सनल लाइफ के लिए है, चौथा भाव वैवाहिक जीवन में नए रिश्ते को दर्शाता है।